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राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर गठित मानवाधिकार आयोगों के बारे में जन-जागरूकता जरूरी : गुरदीप सिंह कंग

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फगवाड़ा, 29 मई (प्रीति ) समाज के प्रत्येक प्रबुद्ध व्यक्ति को मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता व संरक्षण के लिए प्रयास करना चाहिये। यह बात मानवाधिकार परिषद (भारत) के राज्य सचिव गुरदीप सिंह कंग ने मीडिया से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं को उजागर करना, पीडि़तों की मदद करना तथा सरकारों व अन्य संस्थाओं पर इन अधिकारों का सम्मान करने के लिए दबाव बनाना मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने में सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार परिषद भारत मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए कार्य करती है। लोगों को मानवाधिकार परिषद से जुडक़र मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए आवाज उठानी चाहिए। हमें स्वयं भी विभिन्न माध्यमों से मानवाधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तथा दूसरों को भी इसके बारे में बताना चाहिए। गुरदीप सिंह कंग ने कहा कि सामाजिक मामलों में बिना किसी भेदभाव के सभी को समान स्वतंत्रता होनी चाहिए। जाति, रंग, नस्ल, भाषा, धर्म, राजनीतिक व अन्य विचारों, राष्ट्रीयता, संपत्ति व सामाजिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह स्वतंत्रता ही वास्तविक मानवाधिकार है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को जन्म के साथ ही कई मौलिक अधिकार प्राप्त होते हैं। भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों को मानवाधिकारों की गारंटी देता है। मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों के लिए सजा का प्रावधान भी हमारे संविधान में दर्ज है। भारतीय संविधान में सभी लोगों को जीवन की स्वतंत्रता का समान अधिकार है। कंग ने कहा कि महिलाओं, बच्चों, दिव्यांगों, नाबालिगों, कमजोरों की सुरक्षा की गारंटी भी उनका मानवाधिकार है। इसके बिना राजनीतिक स्वतंत्रता खोखली है। मानवाधिकारों का उल्लंघन न केवल कानून बनाकर बल्कि उनका पालन करके भी रोका जा सकता है। पुलिस की बर्बरता, यातना, हिरासत में मौतें, फर्जी मुठभेड़, जेलों की खराब स्थिति, मनमानी गिरफ्तारियां, अवैध हिरासत को रोके बिना मानवाधिकारों की रक्षा नहीं की जा सकती। हमारे देश में 1993 में मानवाधिकार अधिनियम लागू हुआ और सरकार ने राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मानवाधिकार आयोगों का गठन किया है, जिनके बारे में जागरूकता बहुत जरूरी है।

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